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स्वामी कल्याण देव महाराज को भारत रत्न उपाधि प्रदान करने की मांग तेज

शामली। ब्रहमर्षि अंगिरस वेलफेयर समिति के पदाधिकारियों ने मंगलवार को जिला मुख्यालय पहुंचकर महामहिम राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन जिलाधिकारी कार्यालय में सौंपा। ज्ञापन में उन्होंने शिक्षा ऋषि स्वामी कल्याण देव महाराज को भारत रत्न उपाधि से सम्मानित करने की मांग की।

ज्ञापन में बताया गया कि स्वामी कल्याण देव महाराज का जन्म 21 जून 1876 को ग्राम कोताना, जनपद बागपत में हुआ था। उनका पालन-पोषण मुजफ्फरनगर जनपद के मुंडभर गांव में हुआ। युवावस्था में उन्होंने अयोध्या और हरिद्वार की यात्रा की। इसी दौरान उन्होंने स्वामी विवेकानंद से मिलने के लिए रामेश्वरम की यात्रा की।

यात्रा से लौटने के बाद स्वामी कल्याण देव ने ऋषिकेश में स्वामी पूर्णानंद के शिष्यत्व को स्वीकार किया, जिन्होंने उन्हें “कल्याण देव” नाम प्रदान किया। इसके बाद उन्होंने हिमालय की कंदराओं में कठोर तपस्या की।

महात्मा गांधी और पंडित मदन मोहन मालवीय से प्रेरित होकर स्वामी जी ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और दिल्ली सहित कई राज्यों में करीब 300 से अधिक शिक्षण संस्थानों की स्थापना की। इनमें इंटर कॉलेज, डिग्री कॉलेज, आयुर्वेदिक कॉलेज और पॉलिटेक्निक कॉलेज शामिल हैं। उन्होंने शुक्रताल तीर्थ, हस्तिनापुर और कुरुक्षेत्र जैसे ऐतिहासिक तीर्थों का जीर्णोद्धार कर जनसेवा का उदाहरण प्रस्तुत किया।

स्वामी कल्याण देव को भारत सरकार द्वारा वर्ष 1982 में ‘पद्मश्री’ और वर्ष 2002 में ‘पद्म विभूषण’ सम्मान से अलंकृत किया गया।

ब्रहमर्षि अंगिरस वेलफेयर समिति के सदस्यों ने भारत सरकार से मांग की कि स्वामी कल्याण देव महाराज को शिक्षा, समाज सेवा और धार्मिक स्थलों के संरक्षण हेतु उनके अतुलनीय योगदान के लिए ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया जाए।

ज्ञापन सौंपते समय प्रमुख रूप से सरदार राजेन्द्र सिंह, प्रमोद कुमार समेत समिति के अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे।

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