चंद लोगों के साथ गुप्त प्रेस वार्ता कर उपाध्यक्ष ने बचाई अपनी जान, प्राधिकरण पर उठे गंभीर सवाल
चंद लोगों के साथ प्रेस वार्ता कर प्राधिकरण उपाध्यक्ष ने कर भ्रष्टाचार करने वालों का बचाव आखिर सवालों से कब तक बचेंगे
सहारनपुर। चंद लोगों के साथ प्रेस वार्ता कर सहारनपुर विकास प्राधिकरण सहारनपुर के उपाध्यक्ष संतोष राय ने अपनी वाहवाही लूटने के लिए झंडे गाड़े हैं। जबकि हक़ीक़त में न तो अवैध व्यवसायिक निर्माणों पर कोई रोक लग पा रही हैं ओर न ही अवैध कालोनियों पर शिकंजा कसा जा रहा हैं। विभाग के जेई इतने बेलगाम हो चुके हैं कि किसी भी जोन में चले जाइए हर तरफ़ मानकों को ताक पर रखकर नियम विरुद्ध अवैध व्यवसायिक निर्माण होते मिल जाएंगे ।
वहीं जहां पर अवर अभियंताओं का हित पूरा नहीं होता वहां केवल बेसमेंट पर ही सील करने की खानापूर्ति कर वाहवाही लूट ली जाती हैं। जबकि कई ऐसे बड़े बड़े अवैध व्यवसायिक निर्माण तीन तीन मंजिले बन गए जिनमें बेसमेंट तक अवैध रूप से बना लिए गए हैं जिन पर आज तक सील की कार्यवाही नहीं की गई केवल खानापूर्ति के लिए नोटिस नोटिस खेला गया। सोशल मीडिया पर एक व्यक्ति गौरव मिश्रा द्वारा ब्रेकिंग न्यूज लिख कर खबर चलाई गई हैं कि।
सहारनपुर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष संतोष कुमार राय ने आज मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि सहारनपुर विकास प्राधिकरण द्वारा लगातार अवैध निर्माणों पर बड़ी और कड़ी कार्रवाई की जा रही है। पिछले वर्ष के आंकड़ों की बात करें तो सभी अवैध निर्माणों को चिन्हित कर सील से लेकर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई लगातार जारी है। विकास प्राधिकरण द्वारा पिछले वित्तिय वर्ष की बात करें तो करीब 500 निर्माण चिन्हित किए गए थे जिसमें से 173 को सील किया गया और करीब 113 निर्माण पर अभियोजन दायर किया गया।
करीब 90 अवैध निर्माणों को ध्वस्तीकरण किया गया है। 53 कालोनियां भी चिन्हित की गई थी जिसमें करीब 37 अवैध कॉलोनी को ध्वस्त किया गया है जिसमें करीब 26 हैकटेयर भूमि प्राप्त हुई थी जिसकी बाजारी कीमत कारी 43 करोड रुपए आंकी गई है। इसके अलावा सहारनपुर विकास प्राधिकरण द्वारा सूचना पर लगातार अवैध निर्माण को रोकने, सील करने और ध्वस्तीकरण करने की कार्रवाई की जा रही है। किसी भी अवैध निर्माण को सहारनपुर जिले में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा तत्काल मौके पर टीम भेज कर बड़ी और कड़ी कार्रवाई सहारनपुर विकास प्राधिकरण द्वारा लगातार अवैध निर्माणों की जा रही है। अब सवाल यह उठता हैं कि 500 सौ अवैध निर्माण चिन्हित किए गए आख़िर ये निर्माण कैसे हो गए अवर अभियंता सहायक अभियन्ता और अधिशासी अभियंता पीके शर्मा क्या छुट्टी पर चले गए थे या फ़िर घपला घोटाला कर मिलीभगत से निर्माणकर्ताओ से सांठ गांठ कर निर्माण करवा दिए गए।
वहीं जिन 173 निर्माणों को सील किया गया था क्या आज भी मौके पर वह सील ही हैं या सील हटा कर निर्माणों को कंप्लीट करवा दिया अगर कंप्लीट करवा दिया गया तो कितना राजस्व वसूला गया और क्या प्राधिकरण द्वारा मानक पूरे करा लिए गए थे। ये सब सवाल हैं जिनके जवाब उपाध्यक्ष संतोष राय को देने होंगे। और जिन 37 कालोनियों को ध्वस्त किया गया उनके नाम सार्वजनिक किए जाने चाहिए किस किस रोड पर अवैध कालोनियां ध्वस्त की गई और अब वर्तमान में वहां क्या स्थिती हैं जिन कालोनियों पर बुलडोजर चलाया गया क्या वहां खाली प्लाट हैं या निर्माण किए जा चुके हैं इन सबका मौका मुआयना किया जाना चाहिए ताकि जनता को भी पता चले कि चार दिवारी में चंद लोगों के साथ प्रेस वार्ता कर आख़िर क्या साबित होगा।
जब एक दिन पहले जिला सूचना अधिकारी दिलीप कुमार गुप्ता द्वारा सभी पत्रकारों को मेसेज किया गया था कि 12 मई को सुबह 11 बजें सहारनपुर विकास प्राधिकरण सहारनपुर के उपाध्यक्ष प्राधिकरण कार्यालय में प्रेस वार्ता करेंगे तो फ़िर ढाई घंटे बाद इस प्रेस वार्ता को क्यों निरस्त करने का मेसेज भेजा गया और अगर प्रेस वार्ता निरस्त कर दी गई थीतो चंद लोगों के साथ क्यों प्रेस वार्ता की गई क्या सच पूछने वाले पत्रकारों से उपाध्यक्ष को डर लग गया था कि सवालों की बौछार कैसे सहन कर पाएंगे या फ़िर इनके विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों की करतूत का भांडा फोड़ होगा तो सवालों के जवाब कैसे दें पाएंगे।
शायद इसी दर खौफ के चलते गुप्त तरीके से चंद लोगों के साथ प्रेस वार्ता कर अपनी जान सहारनपुर विकास प्राधिकरण सहारनपुर के उपाध्यक्ष ने बचाई आख़िर कब तक सवालों के जवाब देने से बचेंगे देखना होगा।
Atlantic
यह लेख सहारनपुर विकास प्राधिकरण की कार्रवाई और अवैध निर्माणों पर चर्चा करता है। उपाध्यक्ष संतोष कुमार राय ने मीडिया को बताया कि कड़ी कार्रवाई की जा रही है, लेकिन सवाल यह है कि इतने सारे अवैध निर्माण कैसे हो गए? क्या अभियंताओं की लापरवाही या मिलीभगत से यह सब हुआ? यह भी स्पष्ट नहीं है कि जिन निर्माणों को सील किया गया, वे अभी भी सील हैं या नहीं। क्या प्राधिकरण वास्तव में इन मामलों में पारदर्शिता बनाए रख रहा है? अगर इतने सारे निर्माण अवैध हैं, तो क्या यह प्राधिकरण की निगरानी में कमी को दर्शाता है? क्या इस मामले में और जांच की आवश्यकता है?