मनोज चौधरी, जिला प्रभारी – शामली
शहर के हनुमान टीला स्थित हनुमान धाम में शनिवार को ऐसा आध्यात्मिक दृश्य देखने को मिला, जो लंबे समय तक श्रद्धालुओं के मन को छूता रहेगा। हनुमान प्रकटोत्सव का यह आयोजन न केवल धार्मिक परंपराओं का प्रतीक था, बल्कि समाज में भक्ति, सामूहिकता और आस्था की शक्ति को भी उजागर करता रहा।
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अखंड रामचरित मानस पाठ का समापन: प्रातः मंदिर परिसर में चल रहे रामचरित मानस पाठ का विधिवत समापन हुआ। यह पाठ श्रद्धालुओं के मन में रामभक्ति और संतुलित जीवन की प्रेरणा का संचार करता है। इस समापन कार्यक्रम ने भक्तों को एक साथ जोड़ते हुए धर्म और आस्था की शक्ति को महसूस कराया।
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पं. देवानंद शास्त्री की पूजा-अर्चना: पूजा का आयोजन पं. देवानंद शास्त्री द्वारा कराया गया, जिन्होंने बाबा हनुमान का विशेष श्रृंगार किया। इस दौरान बाबा का केक काटा गया और छप्पन भोग का भव्य प्रसाद अर्पित किया गया, जो श्रद्धालुओं के मन को एक अद्वितीय सुकून दे रहा था।
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भजन संध्या का आयोजन: भजन संध्या में स्थानीय कलाकारों ने अपनी अद्भुत भक्ति भरी प्रस्तुतियों से समां बांध दिया। “हे दुख भंजन मारुति नंदन” और “कीजो केसरी के लाल मेरा छोटा सा ये काम” जैसे भजनों ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया। पं. निशांत भागवत पाठक के भजनों ने जैसे मंदिर की हर दीवार को गूंजाया। उनकी आवाज़ में एक विशेष तात्त्विक गहराई थी जो सभी श्रद्धालुओं को अपनी तरफ खींच रही थी।
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मनोहर और आस्था का दृश्य: SP रामसेवक गौतम, ADM संतोष कुमार सिंह और ADM न्यायिक परमानंद झा ने आरती में भाग लेकर भक्तों के साथ आस्था साझा की। इस खास अवसर पर जब सभी मिलकर बाबा की महाआरती करते थे, तो एक गहरी आस्थाभरी शांति का अनुभव होता था।
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महाआरती का आयोजन: कथा वाचक अरविन्द दृष्टा महाराज और राजकुमार मित्तल द्वारा महाआरती ने आयोजन को चरम पर पहुंचाया। एकता, श्रद्धा और सच्ची भक्ति का यह समय सभी के लिए यादगार बन गया।
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विशाल भंडारा: इसके बाद मंदिर परिसर में विशाल भंडारा का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। भंडारे के इस आयोजन में न केवल आस्था का ही बल्कि सामूहिक भावना का भी संकेत था। हर श्रद्धालु ने एक-दूसरे के साथ प्रसाद साझा किया, और उस क्षण में यह महसूस हुआ कि भक्ति और समाज सेवा का कोई भेद नहीं होता।
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समाज के गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति: इस आयोजन में शहर के अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे: सलिल द्विवेदी, पुनीत द्विवेदी, रमेश धीमान, भूपेन्द्र मलिक, पुष्पा मलिक, राकेश शर्मा, और डा. राकेश जैन समेत अनेकों ने इस पावन अवसर को भक्ति भाव से जिया और उसे साझा किया।
✨ मानव दृष्टिकोण से विशेष बात
यह आयोजन केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं था—यह श्रद्धा और संस्कृति का जीवंत उदाहरण था। जहां बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर किसी ने एक साथ मिलकर भक्ति में डूबकर यह अनुभव साझा किया कि कैसे एक मंदिर सिर्फ ईंट-पत्थरों का ढांचा नहीं होता, बल्कि समाज की आत्मा का प्रतिबिंब होता है।
हर भक्ति गीत, हर आशीर्वाद, और हर प्रसाद में यही महसूस हुआ कि एकजुटता और आस्था ही जीवन के सबसे महत्वपूर्ण पहलू हैं।
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