दैनिक सर्वे बुलेटिन
📍 शामली।
जनपद शामली में पिछले कई वर्षों से पब्लिक स्कूलों द्वारा अभिभावकों और शिक्षकों के साथ किए जा रहे शोषण पर शिवसेना ने नाराजगी जाहिर करते हुए ज्ञापन सौंपा और शासन-प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की मांग की है।
🔍 मुख्य समस्याएं जिन्हें शिवसेना ने उठाया:
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फीस और एडमिशन के नाम पर लूट:
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पब्लिक स्कूल संचालक अभिभावकों से मनमानी फीस वसूल रहे हैं।
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एडमिशन के बाद भी हर क्लास में फिर से एडमिशन फीस ली जाती है, जो अभिभावकों के लिए आर्थिक बोझ है।
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पाठ्यक्रम व ड्रेस की अनिवार्यता:
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स्कूल प्रशासन द्वारा एक निश्चित दुकान से ही किताबें और ड्रेस खरीदने का दबाव बनाया जाता है।
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इन किताबों पर पब्लिकेशन कंपनियों से स्कूल संचालक 60% तक कमीशन लेते हैं, जिससे अभिभावकों को 2 से 3 गुना कीमत चुकानी पड़ती है।
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शिक्षकों का शोषण:
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शिक्षकों से 18-20 हजार रुपये की सैलरी की रिसीविंग ली जाती है, लेकिन असल में केवल ₹5000-₹7000 का ही भुगतान किया जाता है।
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शिक्षकों को न्यूनतम वेतन तक नहीं दिया जा रहा, जो पूरी तरह से गैरकानूनी है।
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शिक्षा का व्यवसायीकरण:
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पब्लिक स्कूलों ने शिक्षा को व्यापार का रूप दे दिया है।
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शासन-प्रशासन की आंखों के सामने यह लूट और शोषण वर्षों से जारी है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही।
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📝 शिवसेना की प्रमुख मांगें:
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सभी पब्लिक स्कूलों में NCERT पाठ्यक्रम अनिवार्य किया जाए।
साथ ही अभिभावकों को किसी भी दुकान से पाठ्यक्रम और ड्रेस खरीदने की स्वतंत्रता दी जाए। -
हर क्लास में दोबारा एडमिशन फीस वसूली बंद हो।
एक बार एडमिशन के बाद दोबारा किसी भी प्रकार की फीस ना ली जाए। -
सरकारी स्कूलों का स्तर सुधारा जाए।
उन्हें स्मार्ट क्लास, डिजिटलीकरण, पुस्तकालय और आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाए ताकि लोगों को पब्लिक स्कूलों पर निर्भर न होना पड़े। -
शिक्षकों को शासनादेश के अनुसार वेतन दिया जाए।
साथ ही वेतन वितरण में हो रही धांधलियों की जांच कर सख्त कार्रवाई की जाए।
📣 मौके पर मौजूद प्रमुख पदाधिकारी:
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मंडल महासचिव: बालिस्टर छांचियान
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जिला प्रमुख: विपिन चौहान
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जिला महासचिव: अजय कुमार
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जिला संगठन मंत्री: राजकुमार
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तहसील प्रमुख, ऊन
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ब्लॉक उपप्रमुख: रविन्द्र कुमार
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ब्लॉक महासचिव: पिंटू कुमार
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ब्लॉक सचिव: यशपाल, रामनाथ
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कई अन्य कार्यकर्ता भी मौके पर मौजूद रहे।
📌 निष्कर्ष:
शिवसेना ने प्रशासन से अपील की है कि शिक्षा को व्यापार बनने से रोका जाए, अभिभावकों और शिक्षकों के शोषण पर तत्काल प्रभाव से रोक लगे और पब्लिक स्कूलों पर सख्ती से निगरानी रखी जाए।
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