यमुना में नहाने के दौरान डूबे थे तीन मजदूर, एक का पहले मिला था शव, परिजनों ने किया था हंगामा
कैराना। दो दिन पूर्व यमुना नदी में नहाने के दौरान डूबे दो अन्य मजदूरों के शव भी गोताखोरों ने कड़ी मशक्कत के बाद बरामद कर लिए हैं। यहां तीन मजदूर डूबे थे, जिनमें एक का शव पहले ही बरामद कर लिया गया था। मजदूरों के परिजनों ने हंगामा कर हाईवे भी जाम किया था। वहीं, परिजनों द्वारा पोस्टमार्टम से इनकार किया, जिस पर पुलिस ने शवों को उनके सुपुर्द कर दिया।
यूपी-हरियाणा बॉर्डर पर स्थित यमुना नदी में दो दिन पूर्व श्यामू, राकेश, पिंटू, राजेश, अजय व सूरज निवासीगण गांव कंडेलगंज जनपद गोंडा हाल निवासी वीरनगर कॉलोनी उग्राखेड़ी मोड के निकट पानीपत नहाने के लिए आए थे, जिनमें श्यामू (19), राकेश (24) व पिंटू (30) गहरे कुंड में डूब गए थे। वह हरियाणा में एक फैक्ट्री में मजदूरी करते थे। हादसे की सूचना पर कोतवाली पुलिस और हरियाणा पुलिस मौके पर पहुंची थी, जिसके द्वारा गोताखोरों को सर्च अभियान में लगाया गया था। एक दिन पूर्व परिजनों ने सर्च अभियान में लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया था।
उन्होंने यमुना ब्रिज चौकी के सामने हाईवे पर जाम भी लगा दिया था। कोतवाली प्रभारी ने परिजनों से वार्ता करते हुए उन्हें आश्वासन दिया था। इसके बाद श्यामू के शव को गोताखोरों ने बरामद कर लिया था। जबकि देर रात तक भी बाकी दो का कोई सुराग नहीं लग पाया था। मंगलवार की प्रात: करीब तीन बजे प्राइवेट गोताखोर साजिद, दिलशाद, बिल्लू व अफजाल ने यमुना नदी में सर्च अभियान चलाया।
लगभग चार घंटे की मशक्कत के बाद राकेश व पिंटू के शव भी बरामद कर लिए हैं। इसके बाद परिजनों में कोहराम मच गया। पुलिस ने दोनों शवों को कब्जे में लेकर पंचनामा कार्रवाई की। हालांकि, परिजनों ने पोस्टमार्टम न कराने का आग्रह किया। इसके बाद पुलिस ने शवों को उनके सुपुर्द कर दिया। बाद में परिजन शवों को हरियाणा लेकर चले गए। कोतवाली प्रभारी निरीक्षक धर्मेंद्र सिंह का कहना है कि दोनों मजदूरों के शव भी बरामद हो गए हैं। परिजनों ने पोस्टमार्टम से इनकार कर दिया, जिस पर दोनों शव उनके सुपुर्द कर दिए।
गोताखोरों ने की स्थायी नियुक्ति की मांग
साजिद का कहना है कि वह प्राइवेट गोताखोर है। यमुना नदी में कोई भी हादसा हो जाए, तो पुलिस द्वारा उन्हें सूचना दी जाती है, जिसके बाद वह अपनी टीम के साथ अपना कामकाज छोड़कर तत्काल यमुना नदी पर पहुंच जाते हैं और डूबने वालों की तलाश करते हैं। गोताखोर का कहना है कि उन्हें स्थायी रूप से नौकरी की दरकार है, ताकि उनके परिवारों का भी गुजारा चल सके। उन्होंने प्रशासन से सरकारी नौकरी दिलाने की मांग की है।
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