Dainiksurveybulletin

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जिलाधिकारी की अध्यक्षता में हुई जनपदीय शुल्क नियामक समिति की बैठक

फीस स्ट्रक्चर नहीं देने वाले स्कूलों को नोटिस, उल्लंघन पर होगी कड़ी कार्रवाई


सहारनपुर जिले में शिक्षण संस्थानों की मनमानी पर रोक लगाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। जिलाधिकारी एवं जनपदीय शुल्क नियामक समिति के अध्यक्ष मनीष बंसल की अध्यक्षता में बुधवार शाम कलेक्ट्रेट के नवीन सभागार में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक में जिले के सभी CBSE और ICSE स्कूलों के प्रबंधकों एवं प्रधानाचार्यों को आमंत्रित किया गया था।


📋 अभिभावकों की शिकायतों पर तत्काल जांच के निर्देश

जिलाधिकारी ने बैठक में कहा कि बीते कुछ समय में अभिभावकों द्वारा कई गंभीर शिकायतें प्राप्त हुई हैं। इनमें:

  • मनमाने तरीके से फीस बढ़ाना
  • एक विशेष दुकान से किताबें व ड्रेस खरीदने का दबाव
  • पारदर्शिता की कमी

जैसे मुद्दे शामिल हैं। इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए तुरंत जांच के आदेश जारी किए गए हैं।


⚠️ फीस स्ट्रक्चर न देने वालों पर कार्रवाई तय

बैठक में जिलाधिकारी ने स्पष्ट कहा कि जो भी स्कूल अब तक फीस स्ट्रक्चर का ब्यौरा समिति को नहीं सौंप पाए हैं, उन्हें तत्काल नोटिस जारी किया जाए।
यदि जवाब संतोषजनक नहीं होता, तो उनके खिलाफ उत्तर प्रदेश स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय अधिनियम 2018 के तहत कार्रवाई की जाएगी।


💸 लाखों रुपये का जुर्माना तय

बैठक में जिलाधिकारी मनीष बंसल ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कोई स्कूल:

  • किताबें, यूनिफॉर्म के लिए केवल एक दुकान से खरीदारी का दबाव बनाए
  • छात्रों या अभिभावकों से किसी भी प्रकार की अनावश्यक वसूली करे

तो पहली बार उल्लंघन पर ₹1,00,000 और दोबारा उल्लंघन की स्थिति में ₹5,00,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।


📚 शिक्षा में पारदर्शिता जरूरी

उन्होंने सभी स्कूल प्रतिनिधियों को निर्देशित किया कि वे अपने संस्थानों में पारदर्शिता, जवाबदेही और अभिभावकों के हित को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखें।


👥 बैठक में ये लोग रहे मौजूद

इस अवसर पर:

  • जिला विद्यालय निरीक्षक रेखा श्रीवास्तव
  • शुल्क नियामक समिति के सदस्यगण
  • जनपद के प्रमुख CBSE और ICSE स्कूलों के प्रबंधक और प्रधानाचार्य
    उपस्थित रहे।

📌 निष्कर्ष

प्रशासन की यह बैठक स्पष्ट संकेत देती है कि सहारनपुर में अब शिक्षा के नाम पर मनमानी नहीं चलने दी जाएगी। अभिभावकों की आवाज़ को प्राथमिकता दी जा रही है, और शिक्षा क्षेत्र को पारदर्शी व उत्तरदायी बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।

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